मधुर है मेरी बंगला भाषा
भाई बहन की लाड़ भरी है
मां की छाती का है प्यार।
भाषा इन्द्रधनुष पर चढ़ यह
स्वर्ण-स्वप्न फैलाता जग में
युग-युगांतर इन राहों पर
नित है उनका जाना आना;
लाया पूर्वी बंगदेश की नदी से धुन इसका मै,
हवा जो लहराती फसलों में दिये हैं मीठे बोल,
वज्र ने इसे दी रोशनी
झंझावात झुलाया झूला
सर्वनाश कहलाई पदमा।
मधुर है मेरी बंगलाभाषा …
रंगा वस्त्र इसका मैं सीने की ताजा शोणित से
बुना गोलियों के धुंये से ओढ़नी मैं इसकी
इस भाषा का मान बचाने अगर पड़े देना यह जीवन
भाई चार करोड़ अपना रक्तदान कर इसकी
पूर्ण करेंगे मन की आशा।
मधुर है मेरी बंगला भाषा …
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